सब खवाब हुए धूमिल…..
पैदा हुवा मै जिस दिन, माँ-बाप मुस्कुराये I थी तंग घर की हालत, लड्डू ना बाँट पाये I I बस आस उम्मीदों में, बचपन भी मेरा बीता I हर हसरत रही अधूरी, लगता रहा पलीता I I ना शिक्षा मिली ढंग की, ना काम ढंग का...
View Articleप्रियतम की वो बाट देखती, अब तक जाने क्यूँ बैठी है?
प्रियतम की वो बाट देखती, अब तक जाने क्यूँ बैठी है? श्याम सुंदरी ये रात की बगीया, दिन भर सोई, ऊंघी – अलसी सी, दिन के ढलते खिल जाती है | बाट जोहती, राह देखती, आतूर प्रियतम से मिलने को, दिल की इक छोटी...
View Articleतेरा रिश्ता बड़ा कमाल पिता
Satish Tehlan is back with a bang and this time with a wonderful poem continuing our Father’s Day week long celebrations. Awesome read as always. ऊँगली पकड़ कर तू ही संभाले, सिखाता पहली चाल पिता। कभी...
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